10 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय आज 1 अप्रैल से लागू हो जाएगा। लॉकडाउन के बीच एक अप्रैल 2020 को 10 बैंकों का विलय होने के बाद यह चार बैंक में बदल जाएंगे। विलय के बाद 10 बैंकों के नाम में भी बदलाव हो जाएगा।
बैंकिंग में सबसे बड़े बदलाव में, अगस्त 2019 में सरकार ने 10 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का चार बड़े और मजबूत बैंकों में विलय की घोषणा की थी। इसके साथ, भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 2017 में 27 से घटकर अब 12 हो जाएगी। से में ये जानना बहुत अहम् है की किन बैंकों का किसमें होगा मर्जर और इसका ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा।
किसका किस बैंक में होगा विलय
बैंक 1: पंजाब नेशनल बैंक + यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया + ओरियंटल बैंक ऑफ इंडिया
पंजाब नेशनल बैंक में ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का विलय होगा। विलय के बाद, ये सभी भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक बन जाएगा जो पीएनबी से 1.5 गुना बड़ा होगा।
इनका कारोबार 17.95 लाख करोड़ रुपये का होगा और इस बैंक की 11,437 शाखाएं होंगी। इससे पहले सोमवार को पीएनबी ने नया लोगो भी जारी किया था। नए लोगो में सार्वजनिक क्षेत्र के तीनों बैंक के अलग-अलग हस्ताक्षर होंगे।
पीएनबी ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा था कि मर्जर से ग्राहकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि तीन बैंक एक साथ बेहतर, बड़े और मजबूत होने के लिए आ रहे हैं।
बैंक 2: केनरा बैंक + सिंडिकेट बैंक
केनरा बैंक का विलय सिंडिकेट बैंक में होगा, दोनों के मर्जर के बाद यह चौथा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक बन जाएगा। इनका 15.20 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा और देश में इस बैंक की 10,324 शाखाएं होंगी। बैंक का नया नाम केनरा होगा।
बैंक 3: यूनियन बैंक ऑफ इंडिया + कॉरपोरेशन बैंक + आंध्रा बैंक
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक मिलाकर एक बैंक बन जाएंगे। विलय के बाद, ये सभी भारत का पांचवा सबसे बड़ा सरकारी क्षेत्र के बैंक होंगे जिसका कारोबार 14.59 लाख करोड़ रुपये होगा और इसकी 9,609 शाखाएं होंगी। बैंक का नया नाम यूनियन बैंक ऑफ इंडिया होगा।
बैंक 4: इलाहाबाद बैंक + इंडियन बैंक
इंडियन बैंक का विलय इलाहाबाद में बैंक में किया गया है, जो मर्जर के बाद देश का सातवां सबसे बड़ा सरकारी बैंक बनेगा। इनका 8.08 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा।
बैंक खातों पर इसका असर
बैंकों के विलय के कारण इसका सीधा असर बचत खाता, चालू खाता और अन्य तरह के खातों पर होगा। विलय की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद इन सभी खाताधारकों को बैंक में जाकर अपनी मौजूदा पासबुक को नई पासबुक के साथ बदलवाना होगा। सरकार ने विलय में शामिल सभी बैंकों को इस बात को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि विलय प्रक्रिया के दौरान खाताधारकों को बैंकिंग सेवाओं में किसी तरह की दिक्कत नहीं आए।
विलय होने वाले बैंकों के अकाउंट नंबर को बराबर अंको में रहने पर शायद न बदला जाये। लेकिन खाता नंबरों के अंकों की संख्या में फर्क होने पर उनमें निश्चित रूप से बदलाव होगा। इसके साथ ही बैंकों की एक शहर में आसपास ब्रांच हैं तो उन्हें भी मर्ज किया जाएगा। वहीं अगर विलय प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसमें शामिल बैंकों में से किसी एक बैंक की ब्रांच किसी इलाके में एक से ज्यादा पाई जाती हैं तो कुछ ब्रांच बंद हो सकती हैं।
विलय होने वाले बैंकों की अलग-अलग ब्रांचों के IFSC (इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड) नंबर तुरंत प्रभावित तो नहीं होंगे, लेकिन विलय प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात उनमें निश्चित रूप से बदलाव होगा और वे पूरी तरह बदल जाएंगे।
बैंकों के विलय प्रक्रिया के बाद इसमें शामिल 10 में से 6 बैंकों के नाम बदल जाएंगे और पुराने बैंक के नाम वाली चेकबुक भी रद्द हो जाएगी। उसकी जगह पर नई चेकबुक जारी की जाएगी। हालांकि ऐसा करने के लिए छह महीने का वक्त दिया जाएगा।
विलय में शामिल अलग-अलग बैंकों की ओर से ग्राहकों को जारी डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर इस प्रक्रिया का कोई असर नहीं होगा और वे पहले की तरह काम करते रहेंगे। हालांकि एकीकृत बैंक चाहें तो नई ब्रांडिंग के तहत ग्राहकों को नए डेबिट और क्रेडिट कार्ड जारी कर सकते हैं।विलय से पहले के ग्राहकों की एफडी-आरडी ब्याज दरों पर तो फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन नए ग्राहकों के लिए ब्याज दरें एकीकरण के बाद बने बैंक वाली और एक जैसी होंगी। बैंकों के एकीकरण का असर उनके द्वारा विभिन्न जमा योजनाओं पर दी जा रही ब्याज दर पर भी पड़ेगा। ब्याज दरों की तरह ही पहले से चल रहे विभिन्न तरह के लोन जैसे होम लोन, व्हीकल लोन, एजुकेशन लोन, पर्सनल लोन और गोल्ड लोन की पुरानी दरों में कोई बदलाव नहीं होगा। विलय से प्रभावित होने वाले बैंक के ग्राहकों को अपने नए अकाउंट नंबर और IFSC की डिटेल्स इनकम टैक्स, इंश्योरंस कंपनी, म्यूचुअल फंड सहित सभी जगह अपडेट करना होंगी। एसआईपी और ईएमआई में भी अपने नए ब्योरा को अपडेट करना होगा।