भारत में कोरोना मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इसके बावजूद लोगो के रिकवरी रेट पहले से सुधरा है और अब इसमें और अघिक उछाल आने की संभावना है। इसका सबसे मुख्य कारण हो सकता है सरकार की नीतियों में कोरोना मरीजों को लेकर बदलाव की वजह से। 8 मई को, सरकार ने फैसला किया कि अब जिनमें हल्के या मध्यम लक्षण हैं, उन्हे लक्षणों का शुरू होना दिखाई देने के 10 दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। उन्हें RT-PCR टेस्ट के बिना रिकवर्ड मान लिया जाएगा बशर्ते कि उन्हें अब बुखार न हो। ऐसे में आने वाले हफ्तों में सक्रिय केसों के आधिकारिक आंकड़े में तेज गिरावट देखने को मिल सकती है।
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8 मई को सरकार की नीति बदलने के बाद अधिक डिस्चार्ज हो रहे हैं। ऐसे में ये आंकड़ा एक हफ्ते में ही 50% से नीचे आने की उम्मीद है। ज्यादा लोग रिकवर होने से अप्रैल से Covid-19 मरीजों के अस्पतालों में भर्ती होने का आंकड़ा धीमे बढ़ रहा है। सरकारी नीतियों की वजह से भारत में Covid-19 मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की दर ऊंची है।
27 अप्रैल तक सभी पॉजिटिव टेस्ट होने वाले लोग, चाहे वो बिना लक्षण वाले हों, उन्हें मेडिकल फेसिलिटी में आइसोलेट किया जा रहा था। अब तक, अस्पताल या केयर फेसिलिटी में मौजूदा स्थिति में जो भर्ती हैं, उनमें 25-33 % ऐसे हैं जो 10 से ज्यादा दिन से भर्ती हैं। यह एक अनुमान है और वास्तविक संख्या की न्यूनतम रेंज है। अब जिनमें हल्के या मध्यम लक्षण हैं, उन्हे लक्षणों का शुरू होना दिखाई देने के 10 दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।इसके मायने है कि ‘रिकवरी दर’ खासी ऊंची होना शुरू हो जाएगी। सरकार के अनुमान के मुताबिक 85 प्रतिशत केस हल्के या मध्यम लक्षण वाले होते हैं। डिस्चार्ज के नए नियम के साथ भारत में सक्रिय केसों का आंकड़ा तेज़ी से नीचे आएगा। अगर ये नियम मई के पहले हफ्ते में लागू किया होता तो भारत में उस वक्त तक 9,000 ज्यादा लोग ‘रिकवर्ड’ घोषित हो जाते।
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