लॉक डाउन के चलते कई मजदूरों को अपने घर पैदल ही जाना पड़ रहा है और इस बीच ऐसी कई दिल दहला देने वाली खबरे सामने आ रही है। सरकारी प्रयासों के बावजूद दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर हजारों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं। मजदूरों की कहानी सुन रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं। आज शहर चाहे लॉकडाउन की वजह से बंद पड़ा हो लेकिन सड़कें फिर भी सूनी नही है। सड़कें इसलिए सूनी नही है क्योंकि सड़कों पर आज वो प्रवासी मजदूर है जो अपने घर जा रहे हैं। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में शहर से पैदल अपने गांव लौट रही एक गर्भवती महिला ने चिलचिलाती धूप में सड़क पर ही बच्चे को जन्म दिया। अभी बच्चा होने की खुशी ढंग से मनी भी नहीं थी कि महिला प्रसव के 2 घंटे बाद ही बच्चे को लेकर पैदल चलने लगी। इन मजदूरों की मजबूरी को कोई नही समझ सकता, कोई चार दिन से चला आ रहा है तो किसी ने न जाने कितने किलोमीटर का सफर तय किया।
शकुंतला नाम की महिला महाराष्ट्र के पीपरी गांव में बच्चे को जन्म दे दिया आपको बता दे की उस महिला के साथ चल रही महिलाओं ने साड़ी की आड़ कर महिला का प्रसव कराया। न कोई हॉस्पिटल,बगैर जच्चा-बच्चा के चेकअप और बगैर किसी डॉक्टर के एक बच्चे को जन्म देना और उसके बाद में भूखे-प्यासे ही पैदल सफर पर चल दी। इससे पता चलता है की ये लोग अपने घर जाने के लिए कुछ भी कर सकते है और इनके पास कोई चारा भी नहीं है आपको बता दे की ये परिवार पैदल चलते हुए रविवार को मध्य प्रदेश के सेंधवा पहुंचे थे। इसके साथ में चल रहे अन्य मजदूर की पत्नी 8 माह के गर्भ से थी लेकिन इस चिलचिलाती धूप में अपने सफर को जारी रखे हुए थी। मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र के बॉर्डर पर ग्रामीण थाना प्रभारी की नजर उन पर पड़ी। इन लोगों से बातचीत और इनका दर्द को समझने के बाद उच्च अधिकारियों से बात कर इन्हें क्वारनटीन सेंटर लाया गया। बाद में दोनों महिलाओं को सेंधवा के शासकीय हॉस्पिटल में दिखाया गया। महिला के पति राकेश ने बताया कि हम नासिक से 30 किलोमीटर दूर रहते थे।
वहां से आ रहे हैं और एमपी के सतना जिले में पैदल जा रहे हैं।
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