भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा भारत में और भारतीय मुख्य भूमि के आसपास सटीक रास्ता या लोकेशन (भौगोलिक स्थिति) ढूंढने के लिए उपग्र्रह आधारित निगरानी प्रणाली नेविगेशन विद इंडियन कॉन्सटेलेशन (नाविक) सिस्टम विकसित किया है।
भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) को आधिकारिक रूप से NavIC कहा जाता है। NavIC के बाद अमेरिका के ग्लोबल पॅजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की निर्भरता ख़त्म हो गयी है।
भारत के देसी जीपीएस यानी नाविक (Navigation With Indian Constellation- NaVIC) को अंतरराष्ट्रीय संस्था 3GPP (3rd Generation Partnership Project) ने मान्यता दे दी है। हालांकि यह GPS नहीं है। यह RPS है यानी Regional Navigation System है। अब हम अपने मोबाइल में भारतीय जीपीएस NavIC का उपयोग कर पाएंगे हमे जीपीएस (Global Positioning System) के साथ-साथ NaVIC का एप भी मोबाइल में मिलेगा। अब अंतरराष्ट्रीय और देसी मोबाइल सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां नाविक का उपयोग कर पाएंगी।
NavIC भारत के लिए बहुत ही अधिक महत्त्व रखता है क्योंकी इसके इस्तेमाल से हमे भारत और इसके आस पास के लोकेशन (भौगोलिक स्थिति) की सबसे सटीक जानकारी के साथ ही अब किसी दूसरे देश पे सॅटॅलाइट नेविगेशन के लिए निर्भरता भी खत्म होगी।
ISRO के मुताबिक NavIC को स्थलीय, हवाई और समुद्री नेविगेशन, आपदा प्रबंधन, वाहन ट्रैकिंग, बेड़े प्रबंधन और मोबाइल फोन के साथ एकीकरण के लिए विकसित किया गया है। 3GPP ने NavIC को अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों पर खरा पाने के बाद ही मान्यता दी है। भारत की टेलीकम्यूनिकेशन स्टैंडर्ड डेवलपमेंट सोसाइटी इन मानकों को राष्ट्रीय मानकों के साथ इस्तेमाल करेगी। स्मार्टफ़ोन में NavIC के साथ, भारतीय उपयोगकर्ताओं को भारत की सीमाओं से 1500 किमी तक फैले क्षेत्र में सटीक स्थिति सेवा मिलेगी। आने वाने दिनों में मोबाइल चिपसेट बनाने वाली कंपनी Qualcomm अपने लेटेस्ट SOC में नाविक का सपोर्ट देंगी। आने वाले दिनों में हमें और भी नाविक सपोर्टेड चिपसेट देखने को मिल सकते है।
ISRO ने NavIC के लिए 8 सैटेलाइट्स भारत के ऊपर तैनात किये हैं जिनमे सात सैटेलाइट नेविगेशन के लिए हैं और एक सैटेलाइट मैसेजिंग के लिए है। NaVIC दिखने में ठीक वैसा ही होगा, जैसा की अमेरिकी GPS दिखता है, लेकिन इसकी गुणवत्ता जीपीएस से बेहतर होगी।अगर अमेरिकी GPS की सटीकता का स्तर भारत में लगभग 60-70% प्रतिशत है तो IRNSS (NavIC) प्रणाली के सटीकता का स्तर 90-95% तक होगा। NavIC का उद्देश्य देश तथा देश की सीमा से 1500 किलोमीटर की दूरी तक के हिस्से (दक्षिण-पूर्व एशिया के बड़े हिस्से में) में सटीक स्थैतिक जानकारी उपलब्ध कराना है।सैन्य और कूटनीतिक दृष्टि से होने वाले फायदों के अलावा NavIC के कई व्यावसायिक और सामाजिक लाभ भी होंगे।इसरो के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में दुनियाभर में भारत की धाक तो जमा ही दी है, इसके साथ ही कम संसाधनों और कम बजट के बावजूद भारत आज अंतरिक्ष में कीर्तिमान स्थापित करने में लगा हुआ है जिसका एक और बेहतरीन उदाहरण NavIC है।NavIC के इस्तेमाल होने बाद देश के करोड़ों लोगों की रोज़मर्रा की जिंदगी भी बदल जाएगी।
NavIC के कुछ महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग हैं:
. एरियल और मरीन नेविगेशन
. देश के दूर-दराज के इलाकों पर GPS की मदद से नज़र
. आपदा प्रबंधन
. वाहनों की ट्रैकिंग और व्यवसायों के लिए बेड़े प्रबंधन
. रीयल टाइम मैपिंग और जियोडेटिक डेटा कैप्चर में सुधार
. यात्रियों और यात्रियों के लिए स्थलीय नेविगेशन सहायता
. ड्राइवरों के लिए विसुअल और आवाज नेविगेशन
. सटीक और जल्द नेविगेशन
दुनिया के अन्य देशों के पोजिशनिंग सिस्टम
अमेरिका – जीपीएस यानी ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम, 24 सैटेलाइट।
चीन – बीडीएस यानी बीडोऊ नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, 30 सैटेलाइट।
यूरोप – गैलीलियो नाम का सिस्टम, कुल 26 सैटेलाइट।
रूस – ग्लोनास यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, 24 सैटेलाइट।